तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
तज्ञमज्ञान – पाथोधि – घटसंभवं, सर्वगं, सर्वसौभाग्यमूलं ।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
नमो Shiv chaisa नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
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